Friday, December 5, 2008

''दो ऋण बराबर एक धन''

उपरोक्त शीर्षक देखकर यह मत सोचिए कि मैं गणित की चर्चा करने वाली हूँ या मेरा इरादा गणित सिखाने का है। मैं तो यही कहना चाहती हूँ कि कभी - कभी ज़िंदगी में भी गणित के फार्मूले के हिसाब से घटनाएँ घटती हुई दिखाई देती हैं। जरा खुलकर चर्चा करने पर ही यह बात स्पष्ट हो पायेगी, यह अद्भुत गणित समझ में आयेगा। राहुल महाजन ठीक वैसा चरित्र है जैसा अक्सर बड़े बाप का बेटा होता है अर्थात समस्त अवगुण संपन्न । बात बिलकुल ठीक भी है। बाप का तो सारा समय धन कमाने में लग जाता है, उसे उसका सुख भोग करने का अवकाश ही नहीं मिलता । उसका बेटा अपने बाप के इस अधूरे काम को पूरा करने का भार उठाता है अर्थात बाप के पैसे को खर्च करने और उसका आनंद लेने का कार्य संपन्न करने का संकल्प सकता है। राहुल महाजन ने भी अपने पिता के ऊपर वर्णित अधूरे काम को पूरा करने का बीड़ा उठाया। इसके लिए उसने वाहियात से कहे, समझे जानेवाले कामों की लिस्ट बनाई जैसे ड्रग लेना, शराब, शबाब की शक्कर की चाशनी में डूबना इत्यादि । ये काम वह पूर्ण निष्ठा से करने लगा पर बाहरी दुनिया ! वह उसे गणित का ऋण का चिन्ह समझने लगी !

वह उपर्युक्त वर्णित कार्यो को सिखाने वाले सखा व गुरूओं की संगत में आनंद मार्ग का अध्ययन करने लगा। प्राचीनकाल में विद्यार्थी घर से दूर आश्रम में शिक्षा लेते थे। शिक्षाकाल में वे घर की ज़िम्मेदारियों से दूर रहते थे। राहुल भी इसी तरह अपने परिवार की जिम्मेदारियों को बंद ऑंखों से देखता रहा। पिता की मृत्यु के बाद ड्रग सेवक होने के कारण उसे जेल जाना पड़ा। कुछ समय बाद वह बाहर आया और उसने अपनी एक मित्र से शादी करली पर उसकी ज़िम्मेदारियों से दूर रहने की इतनी आदत हो गई थी कि वह बहुत दिनों गृहस्थाश्रम में टिक नहीं पाया । ड्रग साधक का मन भी साधु के समान होता है वह इस असार संसार में अधिक समय लिप्त नहीं रह सकता । उसके नकारात्मक चरित्र के सकारात्मक होने की सोचना सब्ज़ियों के भाव गिरने जैसा कठिन कहा जा सकता है।

अब मैं दूसरे ऋण ( - ) अर्थात् ऋणात्मक चरित्र की बात करूँगी। मोनिका बेदी का परिदृष्य में अवतरण स्वर्ग से मेनका के उतरने जैसा कहा जा सकता है। बालीवुड किसी स्वर्ग से ज्यादा ही है कम नहीं। बालीवुड में एक ही इंद्र राज नहीं करता वहाँ प्रजातंत्रात्मक तरीके से भी इंद्रासन उपलब्ध नहीं होता वहाँ इंद्र भीड में से उभरता है और सिंहासनारूढ़ होता है। यह ''भए प्रगट कृपाला'' पंक्ति साकार करता सा लगता है। बात इंद्र में अटक गई और मोनिका उर्फ मेनका पीछे छूट गई बॉलीवुड में मोनिका उर्फ मेनका अपना सौंदर्य बिखेरती बड़े पर्दे पर अवतरित हुई। इस मेनका ने वैसे तो किसी को अपने सौंदर्य जाल में फसाने की स्वत: प्रयास नहीं किया पर सौंदर्य में फेबीकाल होता है और अबू सलेम विश्वामित्र की तरह उसमें चिपक गए और इस तरह मेनका अबू के हरम की शोभा बन गई । अबू सलेम ऋषि विश्वामित्र नहीं बल्कि एक डॉन, अंडरवर्ल्ड का किंग था पर जहाँ तक सौंदर्य से प्रभावित होने और प्रेम का संबंध है वहाँ दोनों में कोई अंतर नहीं कहा जा सकता।

मैंने बचपन में सुना था चुड़ैल अपने हाथ लंबे कर लेती है और दूर की चीज़ तक पकड़ लेती है। बड़े होकर मैंने जाना कानून के हाथ लंबे होते है! मेनका (मोनिका) व अबू के मामले में कानून ने अपने हाथ इतने लंबे कर लिए कि दूर के देश से दोनों को पकड़कर उन्हें जेल में बंद कर दिया। इसके बाद बेचारी मेनका जेल और कचहरी के बीच बहुत लंबे समय तक भांवर घूमती रही । प्रेम के जेट में बैठ सोनिया गाँधी प्रधानमंत्री का घर पा गई और मेनका अबू का हरम और कचहरी के चक्कर । उमराव जान फिल्म में भी घर से भगाकर लाई गई दो लड़कियों में से एक को कोठा मिला दूसरी को नवाब की कोठी, यह तो भाग्य का चक्कर है। याने मेनका इस लेख की हेडिंग का दूसरा ऋण ( - ) बन गई।

इसी बीच टी व्ही पर 'एस बॉस' सीरियल शुरू हुआ जिसमें कहीं की 'इंट कहीं का रोड़ा जैसे चरित्रों को लाकर भानुमति का कुनबा याने यस बॉस के किरदार 3 महीने के लिए एक मकान में रख दिए गए । वहीं मेनका + महाजन का परिचय स्थल सिध्द हुआ। वहीं ये दोनों ऋणात्मक चरित्र पासपास आने लगे। अंग्रेजी कहावत है एक से पंखवाले पक्षी एक साथ उड़ते है। राहुल और मेनका के पंखों में भी समानता होने के कारण वे भी इस कहावत को चरितार्थ करते हुए साथ - साथ उड़ने लगे।

अब जानना यह है कि, ये दो ऋणों का परिणाम धनात्मक कैसे हो गया । यह बात बेहद दिलचस्प है। मेनका अबू सलेम के साथ रहती थी अबू उसे अपनी बीबी मानता था। वैसे उनकी शादी का केवल खुदा गवाह था सो इसे जग जाहिर करना कठिन था क्योंकि खुदा की आदत गवाही देने की नहीं है। इधर मेनका ने राहुल से खुल्लम खुल्ला मेल मिलाप बढ़ा लिया और शादी करने के संकेत देने आरंभ कर दिए । सलेम इस पर आग बबूला हो उठा और उसने मीडिया को बयान दिया कि मेनका उसकी बीवी है और वह वगैर तलाक लिए राहुल से शादी नहीं कर सकती। इस पर मेनका ने पलटवार करते हुए कहना शुरू किया कि उसकी सलेम से कभी शादी हुई ही नहीं थी।

सलेम इसके लिए तैयार नहीं था। वह मेनका के प्रेम की चाशनी में रसगुल्ले सा आकंठ डूबा था उसे मेनका के बयान से इतना धक्का लगा कि वह फूट - फूट कर रोने लगा उसका दिल टूट ही नहीं गया बल्कि उसका पावडर बन गया । वह जेल के अधिकारियो, पहरेदारों के सामने घंटों रोता और अपने डॉन वाले नेटवर्क की बात पूरी तरह भूल गया अब वह पहले जैसा जुल्म पसंद नहीं रह गया था बल्कि एक हारे हुए प्रेमी की तरह व्यवहार करने लगा । अभी हाल में मैंने अखबारों में पढ़ा कि वह ठीक से खाना भी नहीं खाता और उसने अपने आपको अकेला भी कर लिया। सलेम की इस हालत ने दो ऋणों के धन बनने में मद्द की। जिस अंडरवर्ल्ड के ख़तरनाक डॉन से पुलिस, सी.बी.आई. परेशान थी जिसका नेटवर्क वह जेल से भी चला रहा था वह मेनका के शब्दों से टूट कर बिखर गया। देश के लिए यह भारी राहत व खुशी की बात है। मेरा तो मानना है भारत सरकार को मेनका को परमवीर चक्र देना चाहिए । इस अद्भूत ढंग से सलेम का हृदय परिवर्तन दो ऋणों के धनात्मक परिणाम के रूप में सामने आया । अंग्रेजी में कहावत है कभी - कभी सत्य कल्पना से भी परे होता है।

श्रीमती आशा श्रीवास्तव
आर.डी.ए. कॉलोनी
टिकरापारा, रायपुर
प्लाट नं. : 45
फोन नं. : 0771-2273934
मो.नं. : 094076-24988

No comments:

Post a Comment