Thursday, December 11, 2008

चुनाव जीत डाला तो लाइफ जिंगालाला

शीर्षक में प्रयुक्त चुनाव शब्द की शल्य चिकित्सा करने से ज्ञात होगा (मुझे तो होता है आपका पता नहीं) कि इसके पहले अक्षर 'चु' 'चुराने' क्रिया का शार्ट फार्म है। और 'ना' गैर फायदेमंद लोगो को नकारने के लिए काम में आने वाला शब्द और 'व' शब्द विषिष्ट का शार्टफार्म है। इस तरह इसका पूरा अर्थ खुद चोरी करो, अपने विरोधियों के हर काम को 'ना' कहो और यही विषिष्ट होने का लाभ है। शीर्षक का दूसरा शब्द है 'जिंगालाला'। अगर इसे आप शब्दकोष में तलाषेंगे तो ढूँढ़ते रह जायेंगे। इसका अर्थ आवाज से उत्पन्न शब्दों की तरह समझना पड़ता है जैसे 'टपटप' शब्द से एक एक बूँद के टपकने का आभास होता है और 'खटखट' से ठोके जाने का। इस हिसाब से जिंगालाला शब्द का अर्थ अत्यंत प्रसन्नता में उच्चारा गया शब्द जहन में आता है। याने चुनाव जीत जाने से जिंदगी में खुषी का प्याला लबालब भर जाता है।

बात की शुरूआत चुनाव के व्यस्ततम समय से की जाना चाहिए। चुनाव के वक्त उम्मीदवार के असापास अत्यंत मव्य वातावरण रहता है। वह एकाएक फोकस में आ जाता है। सारे चुनाव क्षेत्र में उसके झंडे, डंडे का शोर रहता है उसी के नाम के नारे, कट आउट्स, बैनर, नजर आने लगते है ठीक वैसे ही जैसे शादी ब्याह की जगह एकाएक वीडियो कैमरा किसी एक को फोकस करे और वह व्यक्ति उस तमाम भीड़ में ''मिनट भर के लिए ही सही'' एकाएक आकर्षण का केन्द्र बन जाये। चुनाव के दौरान इस होने वाले फोकस के वक्त उम्मीदवार अंदर से यह जानता है कि यह सब उसकी तथा उसके कुछ 'विषिष्ट' सहयोगियों की-जेब का कमाल है। आदमी का स्वभाव है वह मन-ही-मन चाहता है उसके नाम का डंका बजता रहे फिर भले ही वह डंका बजवाने लायक हो या न हो। झूठ के ऊपर एक पतली सी भले की परत के साथ समाज में परोसा जाना आम बातें है, और यह सहज स्वीकार्य भी है सच सब जानते है पर जुबां चुप रहती है। इस प्रकार उम्मीदवार के नाम का सिक्का (भले ही वह कागज का नोट हो) चलता है। यह चलन पुराना है फिरोजषाह नामक बादषाह पूर्व में चमड़े का सिक्का चला चुका है। पर चुनाव के पहले उम्मीदवार के दिमाग में एक किड़ा रेंगता रहता है पता नहीं परिणाम क्या हो। हारने पर इन्हीं गलियों चोराहों विरोधी ढोल बजा-बजा कर मेरी हार की खिल्ली उड़ाएंगे। कुछ विरोधी तो चुनाव के पहले ''गली गली में शोर है फलां फलां चोर है'' के नारे लगवा देते हैं।

न मालूम ऊपर वाले ने मेरे विरोधीयों को पैदा ही क्यों किया मैं तो काफी था मुझसे ही मजे से काम चलाया जा सकता था। मेरी बड़ी इच्छा की एक बार मेरा ऊपर वाले से सामना हो और मैं यह प्रष्न पुछ सकूँ मुझे तो लगता है ये विरोधी तत्व धारी जीव ऊपर वाले के खिलाफ भी झंडे फहरा रहे थे इस लिए ऊपर वाले ने इन्हें नीचे भेज दिया और अब ये मेरे पीछे पड़ गये हैं। यने भगवान ने बला मेरे पीछे छोड़ दी। भगवान आखिर भगवान है सर्वशक्तिमान हैं जिसने मेरे जैसे काइयों को पैदा किया वह खुद कितना बड़ा कांइयां होगा इसका अनुमान लगाया जा सकता है।

अब तो होगया है वोंटो की अटूट शक्ति के, उपहारों, सुरा वितरण की अचूक सेवा पर पुरा विष्वास है। मैं यह अच्छी तरह जानता हूँ कि जीतूँगा तो मैं ही मेरा तो अनुभव है उपर्युक्त प्रकृति वाले ही चुनाव जीतते हैं। पढ़े लिखे सभ्य समझे जाने वाले तो चुनाव के कीचड़ भी लगवा लेते हैं और उसे धों पोंछ कर साफ-सुथरे अच्दे भले 'मदर इंडिया' फिल्म की नायिका नर्गिस की तरह हो जाते है। वह तो सिर्फ फिल्म की शूटिंग के दौरान मिट्टी पोते रहती थी बाद में झका-झक सफेद कपड़े पहन लेती थी। हम भी चुनाव के बाद सफेद साड़ी वाले नर्गिस बन जाते हैं।

लो जी चुनाव परिणाम भी आ गया और वो बिलकुल वैसा ही था जैसा मैंने सोचा था। मैं चुनाव परिणाम देखकर गुनगुनाने लगता हूँ चाँदसी महबूबा होगी मेरी मैंने ऐसा सोचा था। अब मुझे प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री की गुडबुक्स में आना है और अच्छा मलाईदार विभाग हथियाना है। सब जानते हैं जितना ऊँचा मंत्री का कद व पद उतना बड़ा उसका मलाई का कटोरा। मेरे सिक्रेट केमरे में कई साईज के मलाई के कटोरा मैंने इकट्ठे कर रखें हैं अपने नेता को समर्पित करने के लिए। अरे ‘किसी-किसी नेता को पूरे तबेले के भैंसो के दूध की मलाई भी कम पड़ जाती है’। एसी बात बता दूँ मैंने मलाई शब्द इजाद किया है मक्खन की जगह काम में लाने को। मक्खन शब्द लोग पहचानते हैं यह चापलूसी करने वालों के लिए उपयोग में आता है। मैं मक्खन की जगह मलाई शब्द इस्तेमाल करता हँ। बड़ा नेता का एक इंच का मुँह सुरसा के भयानक बड़े मुँह से भी बड़ा होता है ऐसे मुँह पर ढ़क्कन भी तो बड़ा ही लगेगा। पर मैं जानता हूँ जैसे सिमसिम के मंत्र वाला चमत्कार होगा तुरंत स्वर्ग सीढ़ि प्रगट हो जायेगी समूचा इ्रद्रलोक मेरे कदमों में होगा। अफसर अप्सराओं की तरह मेरे इषारों पर नाचेंगे मुझे रिझाएंगे।

मैं पहले अपने लिए एक महलनुमा घर बनवाऊँगी जिसमें दरबारे आम और दरबारे खास की विशेष व्यवस्था रहेगी एक पुरानी सायकल को तरसने वाली जिंदगी के माथे पर हवाई टिकट जड़ दूँगा। जीत की खुषी का कटोरा छलका जा रहा है और उछलकर खुषी बाहर आ रही है कार बंगला बैंक बैलेंस के रूप में। जी कर रहा है हे भगवान मुझे लगे हाथ आषीर्वाद दे डालूँ दूधो नहाओं पूतों फूलों। मेरी सफलता से मेरे दुष्मन की छोड़ो रिष्तेदारों, दोस्तों तक को एनाकोंडा डस गया। मेरे मन में इनके लिए यह शेर बार-बार चक्कर लगा रहा है।
दूर रहे तो जुदाई से हाय हाय करें
मिले तो कमबक्त जहर उगलने लगें,
अजब सुलगती लकड़ियाँ हैं हितैषी,
जो अलग रहे तो धुंआ दें मिलें तो जलने लगें।

अब मैं अपना स्वर्ग द्वार बंद करता हूँ और आपके लिए नर्क का द्वार खोलता हूँ। आपका भला ऊपरवाला करेगा। मुझसे ज्यादा सक्षम हाथों में सौंपता हूँ।

आशा श्रीवास्‍तव
आर. डी. ए. कालोनी,
प्लाट नं 43
टिकरापारा, रायपुर (छ.ग.) 492001
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