माँ सरस्वती उपकार कर,
मेरे कंठ में भर ज्ञान स्वर ।
मेरे कंठ में भर ज्ञान स्वर ।
हर ओर फैला तमघटे,
नव प्रात सा जीवन बने
रख शीश मेरे वरद कर ।
नव प्रात सा जीवन बने
रख शीश मेरे वरद कर ।
वलबुंध्दि विद्या दान कर
मुझे सत्य सूर्य प्रदान कर
नभ सम मेरे क्षितिज गढ़ ।
मुझे सत्य सूर्य प्रदान कर
नभ सम मेरे क्षितिज गढ़ ।
तेरे हंस पंख की छाँव दे,
गिरि शिखर चढते पाँव दे,
हर मन में अपना रूपभर ।
गिरि शिखर चढते पाँव दे,
हर मन में अपना रूपभर ।
ओ धवल वस्त्र की धारिणी,
दुख हरणि आनंद दायिनी,
मैं शरण तेरी स्वीकार कर ।
दुख हरणि आनंद दायिनी,
मैं शरण तेरी स्वीकार कर ।
lagata hai sb ki vandana fir se likh kr hi dam logo
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