Friday, December 5, 2008

राष्ट्रीय एकता

बूँद बूँद प्यार भर एक कलश में डालकर
बिरवा एक सींचकर खुशबुओं की गैल पर
हम चलें वतन चले।

चल पड़ी जो नफरतों की आंधियाँ,
खाक होंगी इंद्रा गांधियाँ
सुभाष खुदी राम लक्ष्मी बाइयाँ
व्यर्थ होगी सारी कुर्बानियाँ
इधर-उधर बिखर-बिखर
चल पड़ेंगे अगर
अपनों को ही लूटकर
हम छलें वतन छले।

कश्‍मीर झेलता रहा जो गोलियाँ
बंद होगी राखी और होलियाँ,
कैसे बजेंगी यहाँ शहनाइयाँ,
कैसे सुनेंगे भला किलकारियाँ,
जिगर-जिगर कतर-कतर
भाई बंद मार कर
रक्त बूँद सींचकर
हम रंगे वतन रंगे।

जिंदगी का दूजा नाम है सृजन
ढूँढेंगे हम नए गगन
सुमन-सुमन में बंद है एक चमन
चाहिए चमन के वास्ते अमन शीश गंगधारकर
गरल कंठ उतारकर
रष्मियों के हार पर
हम रहें वतन रहें

आशा श्रीवास्तव
आर. डी. ए. कालोनी, टिकरापारा, रायपुर छ.ग
0771 - 2273934
094076-24988

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